Transistor in Hindi (ट्रांजिस्टर हिंदी में)
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Transistor in Hindi (ट्रांजिस्टर हिंदी में)
Transistor in Hindi: ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक उपकरण जोकि दो पी-एन जंक्शनों से मिलकर बना होता हैं । इसमें विपरीत प्रकार की एक जोड़ी के बीच या तो पी-प्रकार (P-Type) या एन-प्रकार (N-Type) अर्धचालक को सैंडविच तरीके से लगाया जाता हैं । यह एक ऐसा उपकरण है जो एक कमजोर या week सिग्नल को कम प्रतिरोध सर्किट से उच्च प्रतिरोध सर्किट में स्थानांतरित करता है और इसे ट्रांजिस्टर के रूप में नामित किया जाता है। “Trans” का अर्थ है ट्रांसफर प्रॉपर्टी और “istor” का अर्थ है जंक्शनों द्वारा दी जाने वाली प्रतिरोधक संपत्ति।
ट्रांजिस्टर एक बहुत ही साधारण सा दिखाई देने वाला कॉम्पोनेन्ट होता है लेकिन इसके काम बहुत बड़े है। अगर ट्रांजिस्टर नहीं होते तो शायद आज कंप्यूटर की स्पीड इतनी नहीं होती जितनी अब है।
ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल सर्किट में बहुत से कार्यो को करने के लिए किया जाता लेकिन इसका सबसे ज्यादा उपयोग एम्प्लीफिकेशन के लिए होता है। कहने का मतलब किसी भी सिग्नल की शक्ति को बढ़ाने के लिए होता है।
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Transistor in Hindi (ट्रांजिस्टर हिंदी में) |
Transistor ट्रांजिस्टर सेमीकंडक्टर पदार्थो से बनाया जाता है।
सेमीकंडक्टर पदार्थो सिलिकॉन और जेर्मेनियम होते हैं ।
ट्रांजिस्टर के तीन सिरे होते है। जिनको बेस (Base), कलेक्टर (Collector) और एमीटर (Emitter) कहते है। ट्रांजिस्टर के कई प्रकार होते है और सबका काम अलग अलग होता है।
Type of Transistor (ट्रांजिस्टर के प्रकार)
संरचना के अनुसार ट्रांजिस्टर दो टाइप के होते है
- NPN ट्रांजिस्टर
- PNP ट्रांजिस्टर
NPN ट्रांजिस्टर
एक ट्रांजिस्टर जिसमें n- टाइप सेमीकंडक्टर्स के दो ब्लॉक होते हैं, जो P- टाइप सेमीकंडक्टर की एक पतली परत से अलग होते हैं जिसे NPN ट्रांजिस्टर के रूप में जाना जाता है।
PNP ट्रांजिस्टर
एक ट्रांजिस्टर जिसमें पी-टाइप सेमीकंडक्टर्स के दो ब्लॉक को एन-टाइप सेमीकंडक्टर की एक पतली परत द्वारा अलग किया जाता है जिसे पीएनपी ट्रांजिस्टर के रूप में जाना जाता है।
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Type of Transistor (ट्रांजिस्टर के प्रकार) |
दोनों प्रकार के ट्रांजिस्टरस में निम्नलिखित बिंदु ध्यान देने योग्य हैं:
- इसमें दो PN junction बैक टू बैक जुड़े हुए हैं। दूसरे शब्दों में, एक ट्रांजिस्टर को दो क्रिस्टल डायोड के रूप में माना जा सकता है जो बैक टू बैक जुड़ा हुआ है। बाईं ओर के डायोड को एमिटर बेस डायोड या केवल एमिटर डायोड कहा जाता है। जबकि, दाईं ओर के डायोड को कलेक्टर बेस डायोड या कलेक्टर डायोड कहा जाता है। ये नाम ट्रांजिस्टर के टर्मिनलों के नाम के अनुसार दिए गए हैं।
- ट्रांजिस्टर में प्रत्येक प्रकार के सेमीकंडक्टर से लिए गए तीन टर्मिनल होते हैं।
- मध्य खंड (middle section) एक पतली परत से बना है जो एक ट्रांजिस्टर के कामकाज के लिए एक बहुत ही मूल्यवान बिंदु है।
ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है
आपने घर या स्कूल ऑफिस हर जगह पानी नल देखा होगा है। जिसके लिए ऊपर छत पर टंकी रखी होती है और पाईप के द्वारा पानी को नीचे लाया जाता है। जिसमे से पानी बहता है और बहता ही रहेगा यदि उसको रोकने के लिए वाल्व यानी टोटी न लगी हो।
जिसको बंद कर देने पर पानी नहीं बहता जब आपको जरुरत होती है तब आप टोटी को खोल कर पानी ले लेते है फिर जरुरत नहीं होने पर बंद कर देते है साथ ही आपको कम पानी चाहिए कम खोलते है और ज्यादा तेज़ी से पानी बहने के लिए ज्यादा या पूरा खोल देते है कहने का मतलब यह है जितनी हमें जरुरत होती है और जिस गति से चाहते है टोटी को उसी के अनुसार घुमाकर पानी ले लेते है। ठीक इसी प्रकार ट्रांजिस्टर भी काम करता है और बेस उसको नियंत्रित करता है। मुझे लगता है आपको अच्छे से समझ आ गया होगा।
Transistor Terminals (ट्रांजिस्टर टर्मिनल्स)
प्रत्येक ट्रांजिस्टर में तीन टर्मिनल होते हैं जिन्हें एमिटर, कलेक्टर और बेस कहा जाता है।